पुस्तक कैसे पड़ा जाती है,उशि के वारे भै कुछ है| जिस दिन भेरा लेख,कोई समझने को कोशिश नहीं करता उसि दिन मुझे समझमे आति की लेख अच्छी नहीं था | मै अपने आप को कब तक दोषी ठहराता रहूँ,लेकिन अगर हम अपनी बात को सामने रख रहे है,और सामने वाला उसे समझ नहीं पा रहा है,तो गलती उसकी नसीं जो समझ न पा रहा हो,वल्कि उसकीबनती है,जो सामने वाले को अपनी बात को समझा न पा रहा हो|

जब अपनी बात को लेख के माध्यम से सामने रखता हूँ,तो उस लेख को कोई कोई ही समझ पाता है,समझने वाली बात तो यह है,पड़ने का भी एक तरीखा होता है|जिस प्रकार से विराम चिन्ह होता है,उसी प्रकार से लेख मे,अपनी भावना को डालकर पढ़ा और समझा जाता है|सबसे पहले लोगो को अपनी लेख को सही तरीके से पढ़ने के लायकवनाना होगा|
हिन्दी लेखन में भी अनेक प्रकार के विराम चिन्ह होते है | (,) इस तरह चिन्ह को अप्ल या कमा कहते है, लेख को पढ़ते समय यहाँ थोड़ा सा रुका जाता है| (;) इसे अर्ध्द विराभ कहते है,लेख को पढ़ते समय अल्प विराम से थोड़ा अधिक रुका जाता है| ओर इसे कहते है,(|) पूर्ण विराम,जब पढ़ते समय जहाँ अंतिम होता है,वहाँ पर यह चिन्ह होता है,इसका उपयोग पृर्ण रूकने के लिए किया जाता है| इसी तरह बहत चिन्ह होते है,उसे ध्यान मै रकते हुए पढ़ना चाईए|
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